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इस जवाब में थोडा बहुत इशारा तो मेरे तरफ भी था पर वो भी अपने जगह सही हैं.आईऐ ,इसे एक एक्साम्पल से समझने की कोशिश करते हैं.मैं लव मैरेज को सपोर्ट करता हूँ (हालांकि यह बात मैं अपने पिताजी के सामने नहीं बोल सकता).मेरे पिताजी इसे सपोर्ट तो नहीं करते पर इसे फिल्मों तक में सही मानते हैं.कैसे?मैंने उन्हें अक्सर ऐसी कई फिल्मों को देखते समय इमोशनल होते देखा है जिसमें हीरो अक्सर हिरोइन के प्यार के लिए पूरे समाज से लड़ता है.रही बात मेरे दादाजी की,उन्हें तो प्रेम विवाह फिल्मों तक में भी स्वीकार नहीं थीं
कहने की जरूरत नहीं कि समाज के साथ यंगिस्तान का चेहरा भी बहुत तेजी से बदल रहा है.इसका भी एक्साम्पल चाहिए.मेरे बड़े भाई साहब अपने पैसों से ब्रांडेड कपडे पेहेनते हैं(उस उम्र में जिसमे मेरे पिताजी,मेरे दादाजी से पैसे लेकर कपडे सिलवाते थे,हालांकि मेरे पिताजी का कहना है कि ऐसा उन्हें करते समय बहुत बुरा लगता था ).यंगिस्तान का यह रुख सिर्फ लाइफ स्टाइल तक लिमिटेड नहीं है.यह वही यंगिस्तान है जो सत्यम जैसे giant मलटी नेशनल कंपनी में हुए फ्रौड़ के चलते जॉब्स खोने के बावजूद हिम्मत नहीं हारता.धोनी की मानें तो हमारा आज का यंगिस्तान अपनी प्यास के सहारे मंजिल तक पहुँचने की कुव्वत रखता है.यह वो हैं जो आज ज्यादा spiritual हैं.अगर यह वीकएंड को पब और डिस्को में जाते हैं तो इन्हें मंगलवार या शनिवार को मंदिर से निकलते भी देखा जा सकता है.
पर सवाल यह है की इस यंगिस्तान की भागेदारी देश के विकास में कहाँ तक है?यंगिस्तान आज हर फील्ड में डोमीनेट कर रहा है सिवाय एक जगह के और वो है,पॉलिटिक्स . यह वो हिस्सा है जहाँ आज भी "ओल्दिस्तान" का जलवा कायम है.फिर से एक्साम्पल चाहिए.ठीक है..हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ७६ साल के हैं.अगर इस बार अडवानी जी की किस्मत खुली तो वो ८१ वर्ष की उम्र में सत्ता सम्हालेंगे और मोरार जी देसी के पुराने रिकॉर्ड ८१ साल वाले की बराबरी भी कर लेंगे.अटल जी ने पहली बार ७२ साल की उम्र में सत्ता का स्वाद चखा था.एक्साम्पल्स अनगिनत है,पर क्या करें, प्रिंट मीडियम में स्पेस की बहुत value होती है.
आज का yuth मानता है कि पॉलिटिक्स गन्दी है.मेरे एक राजनितिक मित्र हैं जिनका मानना है कि ,गन्दी पॉलिटिक्स नहीं, इसे करने वाले हैं.और अगर यह गन्दी है भी तो इसे साफ़ क्यों न करें.इस साल लोकसभा चुनावों में १ करोड़,१० लाख,६४ हज़ार,५०७ वोटर अपने डेमोक्रेटिक पॉवर का यूस करेगा.इसमें 35 लाख वोट्स २०-२९साल के यूथ की हैं. जागो यंगिस्तान.कुछ बदल डालने का मौका बहुत पास में है.इस बार थोडी देर करोगे तो morally अगले 5 साल तक का और इंतज़ार करना पड़ेगा.और मंदी और कोस्ट कटिंग के इस दौर में इन ५ सालों में क्या कुछ बदलने वाला है ,यह कोई नहीं जानता!!!