दीवार के दूसरी ओर,अब तीन लोग रहते हैं..
यही परिवार है..जीवन का आधार है..
ऐसा आवाजें नही..लोग कहते हैं..
आवाज की सुनकर क्या करोगे,
वो अलग ही कहानी बयां करते हैं..
आजकल पकवानों की खुशबू नही आती.
देर रातों में दीवान शांत पड़ा है..
कभी कभी पुरुषों के चीखने की आवाज,
खाने में नमक ज्यादा होने की तस्दीक़ करती है.
इस तरह के झगडे,अब बहुत आम बात हैं,
घर की स्त्री शायद, अब चाय बंनाने में भी डरती है.
दीवार के दूसरी ओर से अब
सिर्फ बाप बेटे की ही आवाज आती है.
कोई नही जानता,माँ आजकल कहाँ रहती है..
गौर से सुनो हर आवाज,यह एक कहानी कहती है.
दीवार भी शायद अब पुरानी हो चुकी है...
इसलिए आजकल आवाज साफ़ आती है.
होने वाली है दूसरी ओर एक और नयी शुरुआत,
शहनाई की आवाज,यह खबर लाती है..
फिजाओं में फिर से पकवानों की खुशबू है..
देर रातों में दीवान भी बोलने लगा है...
पर आजकल पुरुषों की आवाज नही आती है
महिलाओं के आपसी रिश्ते की खटास.
बर्तनों के गिरने की आवाज,साथ लाती है..
बूढी दीवार भी अब मानने लगी है कि..
हर आवाज में एक दास्तां छिपी होती है..
गौर से सुनो जरा इसको.
यह आवाज एक कहानी भी कहती है..