ख़ुशबू लिखना चाहती हूँ...
1 hour ago
हर आवाज में एक दास्तां छिपी रहती है.. गौर से सुनो जरा इसको.यह आवाज एक कहानी भी कहती है..ऐसी ही,कुछ कहानियां सुनी हैं.दीवार के इस ओर से..क्योंकि,दीवार का दूसरा ओर,किसी और का है...दीवार के दूसरी ओर उसने,ज़िन्दगी को नयी शुरुआत दी है.उस ओर आजकल काफी शान्ति रहती है..कभी पकवानों की खुशबू तो कभी, बर्तनों के खड़कने की आवाज आती हैं ,देर रातों में,दीवान की चर्र-चर्र.उस नए शुरुआत की तस्वीर लाती हैं.दिन बदले,माह बदले,दीवार ज्यों की त्यों है..बदल गयी हैं,उसके पीछे की कहानियाँ.देर रातों में अब भी कुछ आवाजें आती हैं..यह दीवान की चर्र-चर्र नही..किसी नवजात के जागने की आहट है...खीजे पिता के चीखने का शोर आता है..माँ लेकिन जग रही है,यह राहत है..यह भी एक नयी शुरुआत है..माँ शायद यही सोच कर सब सहती है..गौर से सुनो हर आवाज,यह एक कहानी कहती है.दीवार के दूसरी ओर,अब तीन लोग रहते हैं..यही परिवार है..जीवन का आधार है..ऐसा आवाजें नही..लोग कहते हैं..आवाज की सुनकर क्या करोगे,वो अलग ही कहानी बयां करते हैं..आजकल पकवानों की खुशबू नही आती.देर रातों में दीवान शांत पड़ा है..कभी कभी पुरुषों के चीखने की आवाज,खाने में नमक ज्यादा होने की तस्दीक़ करती है.इस तरह के झगडे,अब बहुत आम बात हैं,घर की स्त्री शायद, अब चाय बंनाने में भी डरती है. दीवार के दूसरी ओर से अब सिर्फ बाप बेटे की ही आवाज आती है. कोई नही जानता,माँ आजकल कहाँ रहती है.. गौर से सुनो हर आवाज,यह एक कहानी कहती है. दीवार भी शायद अब पुरानी हो चुकी है...इसलिए आजकल आवाज साफ़ आती है.होने वाली है दूसरी ओर एक और नयी शुरुआत,शहनाई की आवाज,यह खबर लाती है..फिजाओं में फिर से पकवानों की खुशबू है..देर रातों में दीवान भी बोलने लगा है...पर आजकल पुरुषों की आवाज नही आती हैमहिलाओं के आपसी रिश्ते की खटास.बर्तनों के गिरने की आवाज,साथ लाती है..बूढी दीवार भी अब मानने लगी है कि..हर आवाज में एक दास्तां छिपी होती है.. गौर से सुनो जरा इसको.यह आवाज एक कहानी भी कहती है..
Posted by अभिषेक at 10:48 PM
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7 comments:
achha hai, balki bahut achha hai.
ek aviwahit vyakti ne vaivahik jivan aur praudh awastha ka jo chitran kiya hai wo prabhawshaali hai.
badhaai ke saath..........
aapka samkaalin
amazing dear....
wakai bhot accha hai, kaha se sochte ho aisa sab...
सुन के देखो हर दिवार वाकई कुछ कहती है....
शब्दों का ताना बाना बुननें के प्रयास में बड़ा ही खूबसूरत आकर प्रकार दिया है आपने, ऐसे प्रयास आपके भीतर कि प्रतिभा को और ज्यादा निखारते हैं...लिखते रहिये....इससे भी बेहतर...बेहतर से भी बेहतर...आपसे यही आशाएं हैं...
सच मुच हर दीवार कुछ कहती है , कभी दर्द की कहानी कहती तो कभी खुशी सच हर दीवार कुछ कहती ,बहुत ही उम्दा लिखा है , आपके अगली रचना का इंतजार रहेगा ....साधुवाद
bahut umda
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