ख़ुशबू लिखना चाहती हूँ...
1 hour ago
(२६ जून को i-next में प्रकाशित) टाईटल से ऐसा बिलकुल न समझें कि मै शराब पीने को प्रमोट कर रहा हूँ.किसी ग़ज़ल की यह लाइंस तो मुझे तब याद आयीं जब मैंने कुछ दिनों पहले न्यूज़पेपर में एक खबर पढ़ी.खबर थी कि शराब के नशे में हमारे कुछ युवा भाइयों ने किसी पुलिस ऑफिसर को गाडी से कुचलने की कोशिश की.हर कोशिशें कामयाब नही होती.वो पकडे गए और उनकी अच्छे से मरम्मत हुई.मै सोचने लगा कि कमाल की चीज है यह शराब जिसे पीने के बाद इंसान खाकी से भी टकराने में गुरेंज नही करता.एक बात और,शराब पीने के बाद इंसान के कांफिडेंस को पता नही क्या हो जाता है?पीने के बाद अक्सर लोग कहते हैं."गाडी मै चलाऊंगा."शायद अपने आप को प्रूव करने का इससे अच्छा मौका उन्हें और कोई नही दिखाई देता होगा.लेकिन कभी सोचा है कि "गाडी मैं चलाऊंगा" के बाद क्या हुआ?The Department of Road Transport and Highway के जरा इन आकडों पे नज़र डालिए.१९७० mein कुल ११४१०० रोड accidents हुए और २००३ तक सड़क दुर्घटनाओं की यह संख्या बढ़कर ४०६७२६ हो गयी.अब आप सोच रहे होंगे की क्या बढती दुर्घटनाओं की वजह क्या सिर्फ शराब थी?एक सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि भारत में प्रतिदिन शराब पीकर दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या करीब २७० है और करीब ५००० लोग serious injuries का शिकार हो जाते हैं. वैसे तो हम 26 जून 'विश्व मादक द्रव्य निषेध दिवस' या 'मद्यपान निषेध दिवस' के रूप में मना रहे हैं पर शराब और उसके बुराइयों के बारे में बात करने के लिए किसी ख़ास दिन का होना जरूरी नही.शराब पीना स्वास्थ के लिए हानिकारक है,यह बात तो हम सभी जानते हैं.लेकिन शराब पीकर मेरे एक अंकल जी ट्रैफिक पुलिस में है.मैंने उनसे कहा कि वो और उनका डिपार्टमेन्ट इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कुछ कड़े कदम क्यों नही उठाता?कहने लगे कि उसमें भी बेचारी सामान्य जनता ही मारी जायेगी.उन लोगों का क्या जो डंके की चोट पर ऐसा करते हैं और कानून और प्रशाशन को उन्हें सजा दिलाने में नाकों चने चबाना पड़ता है.कहने पर उन्होंने bmw काण्ड और सलमान खान के किस्से की याद दिला दी.वैसे भी जब से हमारे समाज और newpapers में page ३ पारटीस को सम्मान और glamour की दृष्टि से देखा जाने लगा है,तब से पीकर चलाने वालों को कोई ख़ास परेशानी नही होती.अब आप कहेंगे कि पेज ३ के पानो पे दिखने वाले हस्तियों के साथ उनके ड्राईवर कि तस्वीर थोड़े ही छपेगी जो बाद में उन्हें सुरक्षित घर पहुंचेंगे.पर इन पार्टियों में एक बार शामिल होकर देखिये...खुद बी खुद अस्लियात पता चल जायेगी.चलिए,अगर इन पर्तिएस में फिलहाल शरीक होने में कोई प्रोब्लम है तो कोई बात नही.पिछले कुछ सालों में हमारे आस पास में बहुत सारे बार्स और पब्स कि संख्या बढ़ी है..वहां जाकर आप देख सकते हैं. एक टेक्स्ट मैसेज बहुत common है.if driving is prohibited after drinking..then why bars have parking venues? बात तो सही बिलकुल है.हाँ,मेरा निजी अनुभव एक बात और कहता हैं,पुलिस और प्रशाशन कभी पीकर गाडी चलाने वालों की चेकिंग बार्स या पब के आस पास नही करती.हो सकता है कि यह महज एक संयोग हो.पर यह हमें ही सोचा है कि क्या अपने जान के बारे में भी हम पुलिस के दबाव में आकर ही सोचेंगे? संस्कृत में एक सूक्ति है "अति सर्वत्र वर्ज्यते "यानी एक्सेस ऑफ़ अन्य्थिंग इस हार्मफुल.अगर आप फिल्मों कि भाषा समजते हों तो आपको एक गाना याद होगा."इश्क जब हद से पर हो जाए.ज़िन्दगी बेकरार हो जाए".इश्क करना है तो अपने स्टडीज से कीजिये,अपने उज्जवल भविष्य से कीजिये,अपने दोस्तों से कीजिये,ठीक है.पता है,आपके पास गर्ल फ्रेंड भी है .पर शराब से इतना इश्क न कीजिये .क्योंकि इसे बेचने वाले companiesकी जिम्मेदारी सिर्फ वैधानिक चेतावनी लिखकर खत्म हो जाती है.समझना तो हमें यह है कि वो कुछ मिली शराब और उसका क्षणिक नशा हमारे लिए जयादा इमपोरटेंट है या हमारी ज़िन्दगी.
Posted by अभिषेक at 1:36 AM
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1 comments:
hi dear... really nice...
hame b kuch likhna sikhaiye...
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