Thursday, April 9, 2009

"सेव वाटर,ड्रिंक बियर"

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चौंकगए ना!!मै भी चौंक गया था।यह लाइंस मैंने कल एक यंगिस्तान के नागरिक के टी-शर्ट पर देखीं.सोचा,यह किस प्रकार का social awareness है?पूछने पर उसने बताया कि 22nd मार्च को world water day है.ताज्जुब की बात है कि जब मैंने इस बारे में अपने फ्रेंड्स से बात की,तो उन्हें इस बारे में नहीं पता था.वैसे तो मेरा ऐज-ग्रुप भी यंगिस्तान को रेप्रेजेंट करता है पर आजकल हमें वलेनटाइन्स डे,रोस डे,फ्रेंशिप डे जैसे relations और humanity से जुड़े celebrations मनाने से फुर्सत मिले तब तो नेचर और एनवायरोमेंट के बारे में सोचें !!!

मैंने अपने एक पत्रकार मित्र से पूछा,"जानते हो कि पानी कितना important है?"उसने एक अलग ही नजरिया पेश किया।कहने लगा कि पानी न होता तो विजय माल्या की उस कंपनी के वो प्रोडक्ट ना होते जिसका बेसिक ingrediant पानी है,और अगर ऐसा होता तो माल्या साहेब बापू की सामग्री देश में वापस कैसे लाते?पानी न होता politicians कोक पेप्सी का विरोध करके अपने पॉलिटिक्स को कैसे चमकाते?पानी न होता तो कावेरी नदी के पानी के लिए दो स्टेट आपस में कैसे लड़ते?पानी न होता तो कोसी नदी जैसा डिसास्टर न होता और न ही हमारे नेताओं को हेलीकॉप्टर से सैर करने का मौका मिलता?

वैसे ,पानी और हमारी फिल्मों का भी बहुत गहरा रिश्ता है।सोचिये,पानी न होता तो बरसात,बरसात की एक रात,बादल,गंगा जमुना सरस्वती,राम तेरी गंगा मैली,सावन-भादो,सावन को आने दो,वाटर,टाइटैनिक जैसी फिल्में ना होती .और तो और,वो सदाबहार सुपर हिट गाने मसलन भीगी भीगी रातों में,टिप टिप बरसा पानी,ताल मिलें नदी के जल में,घनन घनन घिर आये बदरा,पानी पानी रे,जैसे अनगिनत गाने ना होते.हमारे फ़िल्मी डेरेकटर्स के लिए पानी और बारिश एक रोमांटिक पहलु रहा है.सोचिये,पानी के अभाव में उनके हीरो हीरोइन्स के भीगने के दृश्य के बिना फिल्मों के शूट करने की क्रीऐटीविटी का क्या होता?

यह तो हुई मीडिया और फिल्मों के aspect से पानी का importance,पर हालात उतने फनी नहीं हैं जितनी की उपर लिखी बातें।पानी के लिए हमारी awareness की reevaluation की जरूरत है.इस बार सालों बाद मैं अपने गाँव गया था .मुझे अपने घर के आसपास के अनेकों हैण्डपम्प सूखे मिले.पता चला कि जल स्तर नीचे चला गया है.जो पम्प नहीं सूखे,उनसे polluted पानी आने लगा है.यह हाल सिर्फ मेरे गाँव की नहीं बल्कि कमोवेश सारे देश की है.शहरों में ज्यादा इसलिए नहीं पता चलता क्योकि पानी के लिए अधिकतर हम सरकारी आपूर्ति पर आधारित हैं.और अगर गन्दा या polluted पानी की आपूर्ति होती है तो हम सरकार और प्रशाशन को कोसकर अपनी भड़ास निकाल लेते हैं.और अगर हम aware(खुद के लिए या अपने प्रियजनों के लिए) हैं,तो water sanitation का हर संभव जुगाड़ कर लेते हैं.

पर अब हमें खुद के साथ साथ अपने society के बारे में भी सोचना पड़ेगा।united nations general assembly ने 1993 से ही वर्ल्ड डे फॉर वाटर मनाने का फैसला किया है.इस दिन फ्रेश वाटर के किसी भी ख़ास पहलु को ध्यान में रखकर awareness programme चलाये जाते हैं.साल 2009 में इसकी थीम है-"shared water,shared opportunities"इसके अंतर्गत transboundary water resources के कुशल प्रबंधन द्वारा देशों के मध्य mutual respect,understanding और विश्वास उत्पन करके,शांति,सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.थीम चाहे कोई हो पर पानी से जुड़ा हर पहलु हमारी personal life को कहीं न कहीं प्रभावित करता है.

बचपन में एक poem खूब पढ़ी थी."मछली जल की रानी है,जीवन उसका पानी है"शायद हमने कुछ ज्यादा ही दिल से इसे मान लिया वर्ना हम अभी तक यह अच्छी तरह समझ जाते कि पानी हमारे लिए भी उतना ही important है जितना मछली के लिए.इस होली पर पानी फिजूल में waste करते हुए इस बारे में नहीं सोचा था न!कोई बात नहीं,अभी देर नहीं हुई.लेकिन जल्दी कीजिये,पानी आज फ्री है.ऐसी दुनिया की कभी कल्पना की है जब पानी भी पेट्रोल की तरह बिकना शुरू हो जाए और सरकार को उसपर भी सबसीडी देनी पड़े.

1 comments:

Anonymous said...

very enlightening and thought provoking... we generally take water for granted and thnk dat itll always b there.. bt we forget dat if its not used with prudence and caution one day it will all evaporate... therefore we must take steps to save water. rain water harvesting and using bucket instead of the shower or bath tub are two of the simplest methods of conserving water. its high time we rise to the occasion and understand the gravity of the situation.