Saturday, May 2, 2009

खुशियाँ जो कभी मिली नहीं...

तरसता हूँ,
खुशियों को तरसता हूँ,
जो यूँही कभी दिख जाती हैं,
जो यूँही मुझे मिलती नही,
तरसता हूँ,
ऐसी हर खुशी को तरसता हूँ.....!!!



कभी घर पर आती थी...वो बूढी दाई माँ...
हमारे झूठे बर्तनों में अपनी रोटियाँ तलाशते हुए..
जितनी शिकायत थी हमें ज़िन्दगी के हर निवाले में..
वो खुशियाँ लूटती थी चाय के उस एक प्याले में....
 कभी माँगा नही उसने कुछ मुझसे..
शायद ज़िन्दगी का हर सामां था उसके पास..
जिन बेटों ने उससे कभी मुह मोड़ लिया...
उसे आज भी थी उनके लौट आने की आस ....
कभी पाला था जिन्हें नौ महीने पेट में रखकर
फांके किये.रोटियाँ बनाई,चूल्हे की तपिश में  मर कर
नौ दिन भी न रह सकी वो उन बेटों के बनाये घर पर..

एक दिन सुना...वो दाई माँ अब न रहीं..
सब कुछ सहा बड़े ही खामोशी से..
बेटे लौटे,लिपट कर रोये.
चुप थीं,चुप रहीं.कुछ भी बोला नहीं .
जीते जी तो किसी से कुछ भी न माँगा था
मरने के बाद भी बेटों को निडर कर गयीं.
जो कंगन बनवाये थे अपनी बहुओं के लिए,
अपने आखरी सफ़र पर जाने को
संदूक के किसी कोने में उन्हें चुपके से धर गयीं...  

ज़िन्दगी के इस सफ़र में...
वो बूढी दाई माँ तो काफी पीछे छूट गयी हैं..
वो अक्सर सपनों में आती हैं
हंसती हैं,मुस्कुराती हैं,हौसला बढाती हैं..
खीजता हूँ,चीखता हूँ..काले बादलों सा बरसता हूँ...
हाँ,मै तरसता हूँ..उन खुशियों के लिए तरसता हूँ.. 
 



7 comments:

merinajrmeranajria said...

phichle 4 saalo se aapko janta hu, aapki baato ko suna hai, articles ko pdha hai, jindgi se aapko ladte kisamat se jhagdte dekha hai pr in sb main ek khas baat ki jo kuch kro siddat se kro aur best kro. ye aapko auro se alag kr deti hai. rhi baat un na mili khushiyo ki to reng kr hi shi chor dena to aapki aadat nhi...
mhngai kya bdhi khushiya mhngi hone lgi, ye jrurat ka daur to dekhiye muskuraht ki bhi kimat lgne lgi...

sikandar saifi said...

aapka blog aur post hamein pasand hain.

Unknown said...

hi..aaj pahli baar apka blog pada hai..aur padi ye poem "khushiya..."poem kya hai aap ne to apna dil hi nakal kar rakh diya hai.well aaj ki nucler jamane me apko har ghar me ye dadi maan mil jayegi..aur itni paas se kisi chrcter k bare me jo apne mahsoos karaya hai meri tarf se 2 boond aasho apko protsahit karne aur es dard ko feel karane k liye...

apka prayas utkrst evam sarahneey hai..aage bhi ese likhte rahiye..

apke sunhre bhavishya ki kamna k sath
pratima.,

प्रवीण द्विवेदी की दुकान said...

बहुत से लोग संभवतः आपके इस प्रतिभा से परिचित नहीं थे , उम्दा रचनाएँ है लिखते रहें

Shantanu said...

वाकई बड़ा कठिन होता है किसीको करीब से देखकर उसे औरों को बताना पर ये काम आपने बखूबी किया है, अच्छा प्रयास है, वैसे आपसे अभी कुछ और रचनाओं कि उम्मीद है, क्यूंकि इस एक ने तो आपके भाव और तेवर दिखा दिए हैं, अब आशा है कि शब्दों के नए जाल भी आयेंगे.....

NEEL RATAN TEWARI said...

dil ko chu liya

sandy said...

bahut acha vardan kiya hai dil ko chu gaai