Monday, May 4, 2009

बा,बहू और "बिकनी"

आप यह लेख i-next ई पेपर में पढ़ सकते हैं....... http://www.inext.co.in/epaper/Default.aspxedate=5/4/2009&editioncode=2&pageno=12
चौंक गए ना!!जाहिर है कि टाइटल ऐसा है कि युवा और सामजिक मूल्यों के पैरवीकार ,दोनों का ही ध्यान एक साथ आकर्षित हुआ होगा.अब आप सोच रहें होंगे कि जब सारे देश पर ipl और चुनावी नतीजों का बुखार चढा हुआ है तो ऐसा ऑफ बीट मुद्दा मेरे दिमाग में कैसे आया?अभी कुछ दिनों पहले मै टी वी पर मिस इंडिया कम्पटीशन का लुत्फ़ उठा रहा था.वैसे यह आनंद ज्यादा देर का न रहा क्योंकि मेरी माताजी सास बहु सेरिअल्स की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं और दुर्भाग्यवश मै उनके और उन्हें बा बहु की कहानियो के बीच रोड़ा बन रहा था.ड्राइंग रूम छोड़ते छोड़ते-2 ही बिकनी का टोपिक मेरे दिमाग में आया.वैसे भी,मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि मेरे लेखों में interest value कम होता है सो अब लिखते समय मेरे सामने दो चुनौतियाँ हैं-पहली,interest value को बनाये रखना और दूसरी ऐसे controversial subject पर साफ़ सुथरे बच निकलना.जाहिर है कि बिकनी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर आम भारतीय जनमानस एक ही रवैया अपनाता है-"तुम्हे देखा भी ना जाए,तुम्हे देखे बिना रहा भी ना जाए".ऐसा क्यों हैं,इस बहस में ना पड़ा जाए तो ही बेहतर है .फिलहाल हम सिर्फ इस बारे में बातें करेंगे कि ऐसा है भी या नहीं?
फिल्मों के एक्साम्पल के बिना किसी सोशल इशु के बारे में बात करना पोस्सिबल नहीं.फिल्में हमारे सोसाइटी में trendsetter की भूमिका निभाती हैं.फिल्में लाइफ स्टाइल और mentality दोनों को प्रभावित करती हैं.और जहाँ तक बिकनी का सवाल है,उसका और हमारी फिल्मों का बहुत पुराना रिश्ता है.हमारा सिनेमा इस बात का गवाह रहा है की लीडिंग heroiens हमेशा से बिकनी पहनते आयीं हैं,वैसे इस ट्रेंड की शुरुआत ५०-६० के दशक में आर के बैनर की फिल्म 'आवारा' में नर्गिस जी ने की.फिर वैजयंती माला ने 'संगम में',सायरा बानो ने 'पूरब और पश्चिम' में और नूतन जैसी गंभीर छवि की अभिनेत्री ने 'यादगार'में और शर्मीला जी ने 'एन इवेनिंग इन पेरिस'में बिकनी को सोशल acceptance दिलाने का प्रयास किया.हालांकि यह अलग बात है कि आजकल वही शर्मीला जी,फिल्मों में ऐसे दृश्यों पर सेंसर की कैंची चलाती हैं.फिर सिमी गिरेवाल,जीनत अमान,टीना मुनीम, से लेकर प्रेसेंट में जीरोफिगर वाली करीना और प्रियंका चोपडा ने भी इसे सिल्वर स्क्रीन का हिस्सा बनाया. 

ऐसा नहीं है कि सिर्फ फिल्मों में बिकनी का acceptance रहा हो.ऐश्वर्या राए,सुष्मिता सेन,लारा दत्ता,प्रियंका चोपडा,डायना हेडन जैसी महिलायों ने वर्ल्ड लेबल के ब्यूटी कामपेटीशन में शीर्ष मुकाम हासिल किया है जिसका रास्ता कहीं न कहीं बिकनी से होकर गुजरता है.बिकनी के सोशल acceptance के कुछ और भी एक्साम्पल हैं.हमारे देश के लीडिंग industrialist विजय माल्या जी,हर साल एक ख़ास किस्म का कैलेंडर गोवा में तैयार करवाते हैं.इन्तेरेस्तिंग यह है कि इसके लिमिटेड एडिशन होते हैं और इसे पाने वालों की लाइन में वो लोग भी लगे होते हैं जो खुले तौर पर बिकनी को सामाजिक पतन का कारण समझते हैं.हाल के ही सालों में,भारत में,लांजरी फैशन शोस में बढोतरी भी यह बताती है कि अब बिकनी को हमारे सोसाइटी में acceptance मिलने लगा है.  
शायद अब वो दिन चले गए जब हम टी वी पैर किसी कम कपडों वाली बाला को देखकर रिमोट ढूँढने लगते थे.आज हम खुले तौर पर करीना के जीरो फिगर के टशन,प्रियंका के गोल्डन बिकनी और स्प्लिट्स विला के कुडियों के ऐटीटूट को डिसकस करते हैं.आज टी वी पर आने वाले ब्यूटी competetions को अनेको families साथ देखती हैं.अरे हाँ ,एक बात बताना तो भूल ही गया.जब मै वो ब्यूटी कम्पटीशन देख रहा था,तो मैंने अपने मम्मी से यूं ही मजाक में पूछा की उन्हें स्क्रीन पर दिखने वाली कुडियों में से कोई अपनी बहु के तौर पे पसंद है कि नहीं.मम्मी ने जो कहा ..शायद उस जवाब ने एक बहुत बड़े सवाल को पैदा कर दिया.मम्मी कहने लगीं कि वो मेरे लिए सिंपल सी अच्छी लड़की ढूंढ के लाएगी.हालांकि मै पूछ न सका कि सिंपल की क्या डेफिनिशन है या टी वी पर दिखने वाली लड़कियां सिंपल की कातेगरी में क्यों नहीं आतीं?पर सवाल सिर्फ इतना है कि क्या वजह है कि आज भले ही हमारे सोसाइटी में ऐश्वर्या और सुष्मिता यूथ ikon हों पर 'बा' को अपने घर में तुलसी या पार्वती जैसे ही बहू चाहिए?आखिर बा अपने बहू के साथ ऐसा दुहरा व्यहवार क्यों अपना रहीं हैं?.

2 comments:

Unknown said...

Hi AbHiSHeK vEry nIcE WrItE Up.. THe bEsT pArT wAs Its EnD aFTeR REaDiNg wHiCHoNe wOrD tHaT I SpOkE wAS "EXACTLY", kEeP uP tHe GoOd WoRk Ur ArTiClE On wATer DaY WaS aLsO aWEsomE...

Shantanu said...

अभिषेक जी अगर आपकी डायरी के ये कुछ फटे हुए से पन्ने हैं तो इन्हें जोड़ने कि कोशिश कर लीजिये, बड़ा बेहतर लिखते हैं आप...